केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि किसी को मराठी भाषा बोलने के लिए दादागिरी करना ठीक नहीं है. मुंबई आर्थिक राजधानी है, इस तरह की दादागिरी ठीक नहीं है, राज्य सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. अठावले ने कहा कि मराठी भाषा को लेकर आंदोलन होना चाहिए. लोगों को मराठी भाषा भी बोलनी चाहिए. लेकिन मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और भारत के सभी राज्यों से लोग यहां मुंबई में आते हैं. इसलिए उन्होंने मराठी सीखी. यह सही है, लेकिन उन पर दबाव डालना और धमकाना ठीक नहीं है. मुझे लगता है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम हिंदी बोलें.
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मराठी भाषा को लेकर हो रहे तनावपूर्ण माहौल पर संयमित लेकिन सख्त प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए और लोग इसे सीखें भी, लेकिन किसी पर दबाव डालना या दादागिरी करना सरासर गलत है. अठावले ने कहा मराठी भाषा सीखने के लिए डराने-धमकाने या दादागिरी करने का कोई मतलब नहीं है.
अठावले ने कहा कि मराठी भाषा को लेकर आंदोलन होना चाहिए, लेकिन वह आंदोलन लोकतांत्रिक और शांति पूर्ण ढंग से हो. उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि वह इस तरह की घटनाओं पर सख्ती से ध्यान दे और किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाज़त न दे. उन्होंने हिंदी भाषा की अहमियत पर भी जोर देते हुए कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है. देश की एकता और अखंडता के लिए सभी को हिंदी बोलने और समझने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. अठावले ने यह भी जोड़ा कि भारत विविध भाषाओं का देश है, लेकिन संपर्क भाषा के तौर पर हिंदी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.
अठावले के इस बयान को भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता को लेकर चल रही बहस के बीच संतुलन साधने वाला माना जा रहा है. उन्होंने मराठी भाषा को सम्मान देने की बात कही, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया कि मुंबई सिर्फ एक राज्य की नहीं, पूरे देश की है. उनके बयान को सोशल मीडिया पर भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है.