मिसाल के तौर पर विजयनगर साम्राज्य के महान सम्राट कृष्णदेवराय या राजराजा चोल प्रथम को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र या महाभारत के शांतिपर्व में वर्णित राजनीतिक अंतर्दृष्टियों के अध्ययन के लिए बहुत थोड़े प्रयास हुए हैं। भक्तिकाल छह शताब्दियों तक चला था और इस दौरान भक्तिधारा का श्रेष्ठतम काव्य रचा गया, लेकिन हमारे शैक्षिक पाठ्यक्रम में इसे बहुत मामूली स्थान दिया जाता है।
शहरों-जगहों के नाम बदलने से ज्यादा जरूरी है हमारी महान विरासत को अंगीकार करना
